भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरज खींच रहा है फोटो / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:04, 9 जनवरी 2011 का अवतरण ("सूरज खींच रहा है फोटो / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूनी सड़क
अकेली युवती
बेलबाटम
कुरते में निकली,
सूरज
खींच रहा है फोटो
हर क्षण
हर मुद्रा की उसकी,
‘क्लोज़-अप’ में
बस वही-वही है :
कटे बाल की-
बीस बरस की-
बड़ी-बड़ी आँखों से हँसती युवती
और नहीं है कोई।

रचनाकाल: २४-०६-१९७२, मद्रास