भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ठाकुरप्रसाद सिंह के आने पर / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:19, 11 जनवरी 2011 का अवतरण ("ठाकुरप्रसाद सिंह के आने पर / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज आए
ठाकुरप्रसाद सिंह
मिलकर हुई आकस्मिक
अंतरंगी खुशी
बाग-बाग हो गया दिल
ज्ञात हुआ
आ गया बसंत
मेरे ही मकान में
बिना बुलाए
अब महकते ही रहेंगे भेंट के फूल,
गड़ें चाहे शूल-
उड़े चाहे धूल

रचनाकाल: २७-०७-१९७७