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डांडी सूं अणजाण / सतीश छींपा
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होळै-होळै
डांडी चालतो,
रैवै
डांडी सूं अणजाण
किनारै-किनारै चालै
पण है बो अणजाण
आ कोनी जाणै कै
कठै टिब्बां
जिनावर मिलसी
कठै ढाणी
कठै पाणी मिलसी ?
होळै-होळै
डांडी चालतो
रैवै डांडी सूं अणजाण !