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मैं बच्चा हूँ / केदारनाथ अग्रवाल
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मैं बच्चा हूँ
बड़ी उमर में भी कच्चा हूँ
कल की नींव गिराई मैंने
और
आज की चिलम चढ़ाई
आगम कल को आँख दिखाई मैंने
बस, नासमझी यही कमाई मैंने
इसीलिए तो
मैं बच्चा हूँ
बड़ी उमर में भी कच्चा हूँ
रचनाकाल: १७-०६-१९७६, मद्रास