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देने को तो सब देते हैं / केदारनाथ अग्रवाल
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देने को तो सब देते हैं
लेकिन
देते-देते भी तो
थोड़े से भी थोड़ा देते
इस देने को
ज्यादा देना कहते
पूरी तुष्टि
इसी से गहते
ये-जो देते-
सच से कभी न चेते-
सच की नाव न खेते,
हेर-फेर कर
दाँव-पेंच से जीते।
रचनाकाल: १०-१२-१९८१