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दूरदरसण / ओम पुरोहित कागद

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लोगां रा सुपना रो रूखाळो !
भौतिक जुग री
जकी चीजां नै
मध्यम वर्ग रो मिनख
जुटाणो छोड‘र
देख तक नीं सकै
उण नै दिखावै
मिनख उछळ परो
खोस नीं लेवै
इण खातर
आडो काच राखै
अर
दूरदरसण कहावै।