कथावाले सस्ते फिरत धर पोथी बगल में ।
लई थैली गोली घर-घर हक़ीमी सब करें ।।
रंगीला-सा पत्र कर धरत जोशी सब बने ।
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में ।।
जहाँ पूरी गरमा-गरम, तरकारी चटपटी ।
दही-बूरा दोने भर-भर भले ब्राहमण छकें ।।
छह न्योते-वारे सुनकर अत्ठारे बढ गए ।
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में ।।
जहाँ धेला नदी दिग़ रहत मेला दिन छिपे ।
जहाँ पट्टी पातुर झलकत परी-सी महल में ।।
तले ठोकर खाते-फिरत सब गलिन में
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में ।।
कड़ी जसपुर पट्टी फिरकर कदी तो चिलकिया ।
कदी घर में सोते भर नयन भोरे उठ चले ।।
सभी टाट लादें बनज रुजगारी सब बनें ।
अजब देखा काशीपुर शहर सारे जगत में ।।
यहाँ ढेला नद्दी उत बहत गंगा निकट में ।
यहाँ भोला मोटेश्वर रहत विश्वेश्वर वहाँ ।।
यहाँ संडे-डंडे कर-धर फिरें सांड उत ही ।
फ़रक क्या है काशीपुर शहर काशी नगर में ।।