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बरसात / मख़दूम मोहिउद्दीन

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इन मस्त हवाओं का ये बरसात का मौसम
तन्हाई में बेयार गुजर जाए, सितम है ।

शग़ले-मय<ref>मदिरा का व्यसन</ref>-ओ-महबूब का रंगीन ज़माना
कालिज की खुराफ़ात में कट जाए, सितम है ।

आग़ाज़े-जवानी<ref>जवानी की शुरूआत</ref> के गुनाहों का तक़द्दुस<ref>महत्ता, श्रेष्ठता</ref>
और दफ़्तरे-बेमाना<ref>निरुद्देश्य के कामों में</ref> मे दब जाए, सितम है ।

जिस पैकरे<ref>शरीर</ref>-लज़्ज़त<ref>स्वाद</ref> से इबारत<ref>संबंधित</ref> है मसर्रत<ref>आनंद</ref>
वो हमदमे<ref>मित्र</ref>-देरीना<ref>पुराना</ref> बिछुड़ जाए, सितम है ।

नौ ख़ास्ता<ref>नौसिखिया</ref> महबूब का मुँह चूमने वाले
इस रुत में ये बे बाल-ओ-परी<ref>निस्सहायता, बेबसी</ref>, हाय सितम है ।

शब्दार्थ
<references/>