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उपरा डिबल बाटे बाज / रामपति रसिया
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उपरा डिबल बाटे बाज, नाज मति कर.. छोड़.. चिरई
कबले छिपल अपने खोतवा में रहबू
केकरा से मनवां के दुखवा के कहबू
छुटि जाई धरती के राज, नाज मति कर.. छोड़.. चिरई ।