भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज भळै / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:00, 4 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=आंख भर चितराम (मूल) / ओम प…)
सगळा हा
उण घड़ी
जिण घड़ी
औसरी ही
आभै सूं अकूंत माटी
सगळा जड़ होय
मिळग्या बणतै थेड़ में
आज भळै
आपरा ई वंसजां नै
खोद काढ्या है
कस्सी
खुरपी
बठ्ठल-तगारी!