भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अकाल / भरत ओला

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:58, 5 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भरत ओला |संग्रह=सरहद के आर पार / भरत ओला}} {{KKCatKavita‎}} <Po…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गांव के फलसे पर बैठी
झबरी कुतिया
करती है इंतजार
घसीट कर लाते मवेशी का
मिटेगी आग
पेट की
बदलेगा स्वाद
जीभ का

जोहड़ के पीपल पर
मुंह लटकाए
बैठा है
बूढ़ा बन्दर
रोटी की फिक्र में
उसे पता है
इस बार
नथिये का कलेवा
नहीं जाने वाला
अगुणे खेत में