भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बंतळ खातर नूंतो / सांवर दइया

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:18, 21 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बंद खिड़कियां अर
बंद दरवाजां आळै कमरै में बंद
कांई करै तूं
बारै देख
खुली हवा है
तावड़ो है
सुगंध है
लै आव
आपां करां-
गटरगूं-गटरगूं ।