Last modified on 21 फ़रवरी 2011, at 11:26

पिता के बाद माँ / ब्रज श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:26, 21 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> पिता के बाद…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पिता के बाद माँ
बदल सी गई है
सबके सामने नहीं करती वह
पिता को याद

अकेले में चुपके से पोंछती है आँख
पिता की तस्वीर पर रखकर हाथ
कुछ कहती है मन ही मन
भीड़ या बाज़ार में
जब जाती है बेटे के संग
तो नहीं छोड़ना चाहती अँगुली
मंदिर जाने पर उसे प्रसाद ज़रूर दिलाती है

हमें रोने नहीं देती कभी
समझाती है यह कहकर
ये तो होता ही है जीवन में

मुझे उस दोस्त का
यह कहना अच्छा लगा
कि तुम्हारे पास अभी
माँ तो है ।