भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खीरां बिच्चै रूई / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:41, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)
गरब
गुमेज
अर ईसकै रो
गरभ
बध्यां जावै म्हारै मांय
दिन दूणो
रात चौगणो
म्हैं
कित्ताक दिन
अखन बचूंला ?