Last modified on 2 मार्च 2011, at 17:44

बदला जमाना (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:44, 2 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> '''बदला जमाना (क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बदला जमाना (कविता का अंश)
अब जमाना सभी तरह बदल गया है
नया सूरज हो गया, धरती नई है
वह पुराना चांद डूबा, नील नभ में
सितारों की पांत की सजधज नई है,
वे पुराने खेत छोटे झोंपडे़ तोड़ डाले गए, महल खड़े हुए
इस नये संसार में तू आह भर के खोजता ओ हृदय
खेाया हुआ क्या है
(बदला जमाना कविता से )