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यमुना स्तुति/ तुलसीदास
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यमुना स्तुति
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ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न।
त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं,
निदरि लगे बहु काढ़न।1।
ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों
जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न
तुलसिदास जगदघ जवास
ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2।