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आशा की ध्वनि / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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आशा की ध्वनि
 (निराशा का चित्रण)
मैं चुपचाप सुना करता हूं
ध्वनि आशा की
पीता हूँ शोभा अपनी ही
अभिलाषा की।
देखा करता हूँ चुपचाप
तटों पर आती
उन लहरों को जो सहसा
हँस कर फिर जातीं
मुझे चाह है सजल प्रेम की
मृदु भाषा की
मैं चुपचाप सुना करता हूँ
ध्वनि आशा की
(ध्वनि आशा की कविता का अंश)