भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कला-1 / भवानीप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:46, 5 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |संग्रह=शरीर कविता फसलें और …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कला वह है
जो सत्य के अनुरूप हो
और

उठानेवाली हो
हमारी
पीढ़ियों को

यों तो हर लापरवाह
साधन बना सकता है
गिरने का सीढ़ियों को !