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कोयल कूक / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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कोयल कूक
(प्रेम भावना का चित्रण )
टअंचल में समेट पागलपन,
 कलित स्मृतियाँ लायी,
आप बालिका से मिलने को
है इस बन में आयी
धन हरीतिमा के नीचे
कुछ काल बैठ रसमाती
यौवन का उपहार उसे दे
उठी आज वह गाती
तुम नव जीवन की वर्षा सी
धिरी हुयी कुसुमों से
राज रही होगी विद्युत सी
सुर धनुषी मेषों से
(कोयल कूक कविता का अंश)