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तितली और भौंरा / हरीश निगम
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तितली रानी,
बड़ी सयानी,
बोली-भौंरे सुन!
ओ अज्ञानी,
पड़ी पुरानी,
तेरी ये गुनगुन!
कालू राजा,
खा के खाजा,
छेड़ नई-सी धुन!