भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इसीलिए / गगन गिल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:42, 13 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = गगन गिल |संग्रह=एक दिन लौटेगी लड़की / गगन गिल }} {{KKC…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह नहीं होगा कभी भी
फाँसी पर झूलता हुआ आदमी
वारदात की ख़बरें पढ़ते हुए
सोचता था वह

गर्दन के पीछे हो रही झुरझुरी को वह
मुल्तवी करता रहता था

तमाम क़बरों के बावजूद
सोचता था
अपने लिए एक
बिल्कुल अलग अंत

इसीलिए जब अंत आया
तो अलग तरह से नहीं आया ।

1989