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सिख मानो हमारि (होली मतवाला) / आर्त
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सिख मानो हमारि, रावण न मन बउराओ ।।
जग जननी कै हरण करि लायौ
परनारी पै कुदृष्टि लगायौ
बीस नयन, तुम कस अंधरायौ, कि सहजै न बंश नशाओ
करि भगवन से रारि, सहजै न बंश नशाओ ।।
‘आर्त’ बनो प्रभु माफ करेंगे
चरण गहो सब कष्ट हरेंगे
नाहि त सब बिन मौत मरेंगे, कि जग में न अयश कमाओ
प्रभु महिमा बिसारि, जग में न अयश कमाओ ।।