भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बस मुश्किल से बच के निकलना आता है / मदन मोहन दानिश

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:34, 19 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन मोहन दानिश |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> बस मुश्किल …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बस मुश्किल से बच के निकलना आता है
अब किसको माहौल बदलना आता है

भेष बदलने में तुम माहिर हो बेशक
उसको तो किरदार बदलना आता है

साथ उसी के चलते तो कैसे आता
ये जो हमको गिर के संभलना आता है

उसको सीधी-सच्ची राह नहीं भाती
दायें-बाएँ जिसको चलना आता है


आज उसी की दुनिया है दानिश साहब
जिसको हर साँचे में ढलना आता है