Last modified on 28 मार्च 2011, at 22:51

आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई / नंददास

Himanshu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 28 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंददास }}{{KKAnthologyGarmi}} Category:पद <poeM> आज वृंदाविपिन कुंज अ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई ।
परम सीतल सुखद स्याम सोभित तहाँ,
माधुरी मधुर और पीत फूलन छई ॥
विविध कदली खंभ, झूमका झुक रहे,
मधुप गुंजार, सुर कोकिला धुनि ठई ।
तहाँ राजत श्री वृषभान की लाड़िली,
मनों हो घनस्याम ढिंग उलही सोभा नई ॥
तरनि-तनया-तीर धीर समीर जहाँ,
सुनत ब्रजबधू अति होय हरषित मई ।
’नंददास’ निनाथ और छवि को कहै,
निरखि सोभा नैन पंगु गति ह्वै गई ॥