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हथौड़े का गीत / केदारनाथ अग्रवाल
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मार हथौड़ा, कर-कर चोट !
लाल हुए काले लोहे को
जैसा चाहे वैसा मोड़ !
मार ह्थौड़ा, कर-कर चोट !
थॊड़े नहीं अनेकों गढ़ ले
फ़ौलादी नर-सिंह करोड़ ।
मार ह्थौड़ा, कर-कर चोट !
लोहू और पसीने से ही
बंधन की दीवारें तोड़ ।
मार हथौड़ा, कर-कर चोट !
दुनिया की जीती ताकत हो,
जल्दी छवि से नाता जोड़ ।