भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राम नाम ! / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:49, 13 अप्रैल 2011 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


सोनै रो पींजरो
मखमल री खोली
रतन बाटकां में
दाड़म‘र दाख
सिखावै सूवटै नै
बोल मिट्ठू
राधेस्याम
सामूंसाम
गळी में बैठो
भूखो सूरदास
छोड़ दिया पिराण
रट रट‘र नाम !