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हे मेरी तुम सोई सरिता ! / केदारनाथ अग्रवाल

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हे मेरी तुम सोई सरिता !
उठो,
         और लहरों-सी नाचो
तब तक, जब तक
आलिंगन में नहीं बाँध लूँ
              और चूम लूँ

                     तुमको !
मैं मिलने आया बादल हूँ !!