भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर तो इतना आलीशान / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:26, 23 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विज्ञान व्रत |संग्रह=बाहर धूप खड़ी है / विज्ञान …)
घर तो इतना आलीशान
लेकिन गायब रोशनदान
जब घर में हों सब मेहमान
कौन करे किसका सम्मान
बढ़ता जाता है सामान
छोटा होता घर दालान
घर के रिश्तों से अनजान
अपने घर मे ही मेहमान
सारी बस्ती एक समान
किसके घर की है पहचान