भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी मिट्टी में / ओएनवी कुरुप

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:52, 4 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओएनवी कुरुप |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> यहाँ के समुद्र …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यहाँ के समुद्र की हवा में
कौन रो रहा है ?
यहाँ की काली मिट्टी
किसका दुख है ?

नारियल के पेड़ का ख़राब
ऊपरी हिस्सा
किसकी दीनता है
केकड़ों के पैरों में
किसने धोखा देनेवाले यंत्र को बाँधा है?

चंदन के पेड़ में
किसका विषैला फण है
झाड़ियों में किसका भय
बसेरा डाले है ?

कौनसी गाय के गले में
प्यास काँटा बन रही है ?
केवडों के हाथों में
नुकीले नाख़ून हैं ।

मूल मलयालम से अनुवाद : संतोष अलेक्स