भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झरै है सुर... : दोय / राजेश कुमार व्यास
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:58, 8 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कुमार व्यास |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>'''राग मधुवं…)
राग मधुवंती नै सुणती बैळा
सागर खावै छोळा
एक लहर
दूजी...तीजी...चौथी...
अर
आगै सूं आगै लहर
सागर खावै छोळा
चोखी लागै
आवती अर
जावती लहर्या
हरैक लहर
भरै मांय रो खालीपण
मांय घिर्यौड़े अंधारै
रै सामीं
जगावै दिवळा
अर
करै है घणकरो उजास।