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खिलाड़ी / नरेश अग्रवाल
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कुछ अलग सा होता है
एक बड़े खिलाड़ी का खेल
मारता है वह गेंद
अपनी पूरी ताकत से
जैसे कोई विस्फोट हुआ हो
लेकिन निशाना निर्धारित करती है आँख
और इस गेंद को देखो
आकाश और जमीन के बीच उड़ती हुई
इसमें खिलाड़ी की आँख भी है
पाँव भी है
और मजबूत इरादा भी,
गिरती है यह जब गोल पोस्ट के भीतर
वाह-वाह होती है कितनी
जबकि एक नये खिलाड़ी के पास
न तो वो आँख और न ही वो पाँव
इरादा भी गिरा हुआ
इसलिए झूमती है उसकी गेंद
बच्चे की तरह इधर-उधर।