भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेरणा / शैलप्रिया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:20, 9 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलप्रिया |संग्रह=अपने लिए / शैलप्रिया }} {{KKCatKavita}} <poe…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने कल
कुछ भाव सुमन चुन लिए
गंगा की तरंगों से
उसकी सुरभि
बिखर गई मेरे आस-पास
मैंने भी गीत गुनगुनाए

एक दिव्य प्रकाश-पुंज से
आंखें कौंध रही थीं मेरी
चमकों से
मस्तिष्क परेशान सा ढूँढ़ रहा था उपमा
मैं उपमाविहीन को मस्तक झुकाए
प्रार्थना में डूब गई
कि एक कविता का जन्म हुआ