भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह लालटेन / नरेश अग्रवाल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:08, 9 मई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सभी सोए हुए हैं
केवल जाग रही है
एक छोटी-सी लालटेन

रत्ती भर है
प्रकाश जिसका
घर में पड़े अनाज जितना

बचाने के लिए जिसे
पहरा दे रही है यह
रात-भर ।