एक बार
सब रंग इकट्ठे हुए
लाल
नीला
हरा
पीला
सफ़ेद
काला ज़रा देर से आया
पर
इतनी हड़बड़ी में था वह
कि दूसरों से जा टकराया
अब
किसी भी रंग को
पहचान पाना मुश्किल था ।
अनुवाद : अनिल जनविजय
एक बार
सब रंग इकट्ठे हुए
लाल
नीला
हरा
पीला
सफ़ेद
काला ज़रा देर से आया
पर
इतनी हड़बड़ी में था वह
कि दूसरों से जा टकराया
अब
किसी भी रंग को
पहचान पाना मुश्किल था ।
अनुवाद : अनिल जनविजय