जय छूमंतर जय माँ काली / कुमार रवींद्र
मेरा वचन न जाए खाली
जय छूमंतर
जय माँ काली
भूखों की बस्ती के आगे
शाह खड़े हैं हाथ पसारे
गुंबद में चल रहे तमाशे
दिखा रहे नट दिन में तारे
गली-गली में खड़े सवाली
जय छूमंतर - जय माँ काली
घर-घर में जा चिड़िया कानी
सुना रही है बात पुरानी
आई थी धरती पर नदिया
ख़ूनी हुआ नदी का पानी
मन्दिर में कल चली भुजाली
जय छूमंतर - जय माँ काली
बस्ती के उस ओर सिरे पर
एक किला है बड़ा पुराना
जादू का है महल वहीं पर
जो भी उसमें गया - समाना
और खो गई उसकी ताली
जय छूमंतर - जय माँ काली
एक कुआँ है - पानी खारी
होती जलसे की तैयारी
बूढ़े देव करें क्या, भाई
सुना रहे हैं चतुर पुजारी
वही प्रार्थना पुरखोंवाली
जय छूमंतर - जय माँ काली