भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीतावली पद 71 से 80 तक / पृष्ठ 5
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:02, 29 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)
(75)
राग कान्हरा
सीय स्वयम्बरु, माई दोउ भाई आए देखन |
सुनत चलीं प्रलदा प्रमुदित मन,
प्रेम पुलकि तनु मनहुँ मदन मञ्जुल पेखन ||
निरखि मनोहरताई सुख पाई कहैं एक-एक सों,
भूरिभाग हम धन्य, आलि ! ए दिन, एखन|
तुलसी सहज सनेह सुरँग सब
सो समाज चित-चित्रसार लागी लेखन ||