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एई राम-लषन जे मुनि-सँग आये हैं |
चौतनी-चोलना काछे, सखि सोहैं आगे-पाछे,
आछेहुते आछे, आछे आछे भाय भाये हैं ||
साँवरे गोरे सरीर, महाबाहु महाबीर,
कटि तून तीर धरे, धनुष सुहाये हैं |
देखत कोमल, कल, अतुल बिपुल बल,
कौसिक कोदण्ड-कला कलित सिखाये हैं ||
इन्हहीं ताडका मारी, गौतमकी तिय तारी,
भारी भारी भूरि भट रन बिचलाये हैं |
ऋषि मख रखवारे, दसरथके दुलारे,
रङ्गभूमि पगु धारे, जनक बुलाये हैं ||
इन्हके बिमल गुन गनत पुलकि तनु
सतनन्द-कौसिक नरेसहि सुनाये हैं |
प्रभु पद मन दिये, सो समाज चित किये
हुलसि हुलसि हिये तुलसिहुँ गाये हैं ||