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अस्तित्व / रवि पुरोहित

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बाल्यावस्था में
बड्प्पन भाया
जवानी में
लघुता...

दोनों के बीच पाया जब खुद को
आदमी होने का
अहसास ,
अधिक सुहाया
आदमी होने से।

राजस्थानी से अनुवाद: स्वयं कवि द्वारा