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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 1 से 10 तक /पृष्ठ 1

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रामराज्य
 ( राग सोरठ )

बनतें आइकै राजा राम भए भुआल |
मुदित चौदह भुअन, सब सुख सुखी सब सब काल ||

मिटे कलुष-कलेस-कुलषन, कपट-कुपथ-कुचाल |
गए दारिद, दोष दारुन, दम्भ-दुरित-दुकाल ||

कामधुक महि, कामतरु तरु, उपल मनिगन लाल |
नारि-नर तेहि समय सुकृती, भरे भाग सुभाल ||

बरन-आश्रम-धरमरत, मन बचन बेष मराल |
राम-सिय-सेवक-सनेही, साधु, सुमुख, रसाल ||

राम-राज-समाज बरनत सिद्ध-सुर-दिगपाल |
सुमिरि सो तुलसी अजहुँ हिय हरष होत बिसाल ||