भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 10

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:19, 4 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(45)
लोने लाल लषन, सलोने राम, लोनी सिय,
चारु चित्रकूट बैठे सुरतरु-तर हैं |
गोरे-साँवरे सरीर पीत नीलनीरज-से
प्रेम-रुप-सुखमाके मनसिज-सर हैं ||

लोने नख-सिख, निरुपम, निरखन जोग,
बड़े उर कन्धर बिसाल भुज बर हैं |
लोने लोने लोचन, जटनिके मुकुट लोने,
लोने बदननि जीते कोटि सुधाकर हैं ||

लोने लोने धनुष, बिसिष कर-कमलनि,
लोने मुनिपट, कटि लोने सरघर हैं |
प्रिया प्रिय बन्धुको दिखावत बिटप, बेलि,
मञ्जु कुञ्ज, सिलातल, दल, फूल, फर हैं ||

ऋषिनके आश्रम सराहैं, मृग-नाम कहैं,
लागी मधु, सरित झरत निरझर हैं |
नाचत बरहि नीके, गावत मधुप-पिक,
बोलत बिहङ्ग, नभ-जल-थल-चर हैं ||

प्रभुहि बिलोकि मुनिगन पुलके कहत
भूरिभाग भये सब नीच नारि-नर हैं |
तुलसी सो सुख-लाहु लूटत किरात-कोल
जाको सिसकत सुर बिधि-हरि-हर हैं ||