भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली अरण्यकांड पद 1 से 5 तक/पृष्ठ 1

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:30, 5 जून 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(1)
भगवान्का वन-विहार
रागमलार

देखे राम पथिक नाचत मुदित मोर |
मानत मनहु सतड़ित ललित घन, धनु सुरधनु, गरजनि टँकोर ||

कँपे कलाप बर बरहि फिरावत, गावत कल कोकिल-किसोर |
जहँ जहँ प्रभु बिचरत, तहँ तहँ सुख, दण्डकबन कौतुक न थोर ||

सघन छाँह-तम रुचिर रजनि भ्रम, बदन-चन्द चितवत चकोर |
तुलसी मुनि खग-मृगनि सराहत, भए हैं सुकृत सब इन्हकी ओर ||