भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 21 से 30 तक/पृष्ठ 9

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:41, 9 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(29)

पदपदुम गरीबनिवाजके |
देखिहौं जाइ पाइ लोचन-फल हित सुर-साधु-समाजके ||

गई बहोर, ओर निरबाहक, साजक बिगरे साजके |
सबरी सुखद, गीध-गतिदायक, समन सोक कपिराजके ||

नाहिन मोहि और कतहूँ कछु, जैसे काग जहाजके |
आयो सरन सुखद पदपङ्कज चोन्थे रावन-बाजके ||

आरतिहरन सरन, समरथ सब दिन अपनेकी लाजके |
तुलसी "पाहि कहत नत-पालक मोहुसे निपट निकाजके ||