Last modified on 10 जून 2011, at 09:40

पोखरन-2 / नील कमल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:40, 10 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नील कमल |संग्रह=हाथ सुंदर लगते हैं / नील कमल }} {{KKCatKa…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पोखरन - 2
बुद्ध चौबीस वर्षों बाद
फिर हँसा
पाँच ठहाकों ने फेर दीं
दुनिया की नज़रें
सारनाथ की वह सभा
पीढ़ियों बाद अपने उपदेशक से
जानना चाहती है
बोधिवृक्ष की जड़ें कहाँ हैं ?