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गीतावली लङ्काकाण्ड पद 21 से 23 तक/पृष्ठ 3

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   (23)

रागटोड़ी
  आजु अवध आनन्द-बधावन, रिपु रन जीति राम आए |
  सजि सुबिमान निसान बजावत मुदित देव देखन धाए ||

  घर-घर चारु चौक, चन्दन-मनि, मङ्गल-कलस सबनि साजे |
  ध्वज-पताक, तोरन, बितानबर, बिबिध भाँति बाजन बाजे ||

  राम-तिलक सुनि दीप दीपके नृप आए उपहार लिये |
  सीयसहित आसीन सिंहासन निरखि जोहारत हरष हिये ||

  मङ्गलगान, बेदधुनि, जयधुनि, मुनि-असीस-धुनि भुवन भरे |
  बरषि सुमन सर-सिद्ध प्रसंसत, सबके सब सन्ताप हरे ||

  राम-राज भै कामधेनु महि, सुख सम्पदा लोक छाए |
  जनम जनम जानकीनाथके गुनगन तुलसिदास गाये ||