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गीतावली उत्तरकाण्ड पद 21 से 30 तक/पृष्ठ 4
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(23).अयोध्याका आनन्द
राग केदारा
नगर-रचना सिखनको बिधि तकत बहु बिधिबृन्द |
निपट लागत अगम, ज्यों जलचरहि गमन सुछन्द ||
मुदित पुरलोगनि सराहत निरखि सुखमाकन्द |
जिन्हके सुअलि-चख पियत राम-मुखारबिन्द-मरन्द ||
मध्य ब्योम बिलम्बि चलत दिनेस-उडुगन-चन्द |
रामपुरी बिलोकि तुलसी मिटत सब दुख-द्वन्द ||