भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नृपहिं कुँवर राजत मग जात।/ तुलसीदास

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:18, 12 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} Category:लम्बी रचना {{KKPageNavigation |पीछे=ग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(15)

नृपति-कुँवर राजत मग जात |

सुन्दर बदन, सरोरुह-लोचन, मरकत कनकबरन मृदु गात ||

अंसनि चाप, तून कटि मुनि पट, जटामुकुट बिच नूतन पात |
फेरत पानि सरोजनि सायक, चोरत चितहि सहज मुसुकात ||

सङ्ग नारि सुकुमारि सुभग सुठि, राजति बिन भूषन नव-सात |
सुखमा निरखि ग्राम-बनितनिके नलिन-नयन बिकसित मनो प्रात ||

अंग-अंग अगनित अनङ्ग-छबि, उपमा कहत सुकबि सकुचात |
सियसमेत नित तुलसिदास चित, बसत किसोर पथिक दोउ भ्रात ||