भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कृपानिधान सुजान प्रानपति, / तुलसीदास
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:45, 13 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} Category:लम्बी रचना {{KKPageNavigation |पीछे=ग…)
(6)
कृपानिधान सुजान प्रानपति, सङ्ग बिपिन ह्वै आवोङ्गी |
गृहतें कोटि-गुनित सुख मारग चलत, साथ सचु पावोङ्गी ||
थाके चरनकमल चापौङ्गी, श्रम भए बाउ डोलावोङ्गी |
नयन-चकोरनि मुखमयङ्क-छबि सादर पान करावोङ्गी ||
जौ हठि नाथ राखिहौ मो कहँ, तौ सँग प्रान पठावोङ्गी |
तुलसिदास प्रभु बिनु जीवत रहि क्यों फिरि बदन देखावोङ्गी?||