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सबसे आँखें तो चार करते हैं / गुलाब खंडेलवाल
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सबसे आँखें तो चार करते हैं
दिल में बस उनको प्यार करते हैं
वादा आने का कर गया कोई
उम्र भर इंतज़ार करते हैं
हैं तो बुझाते दिए मज़ार के हम
जिन्दगी का सिंगार करते हैं
कोई आये न आये नाव को हम
है जिधर तेज धार, करते हैं
रुक न पाती गुलाब की खुशबू
आड़ कांटें हज़ार करते हैं