भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फिर किसी प्यार की पुकार है आज / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 23 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


फिर किसी प्यार की पुकार है आज
फिर कोई रूप बेक़रार है आज

मौत! बस इंतज़ार था तेरा
अब किसी का न इंतज़ार है आज

नींद मेरी थी प्यार का बचपन
मैं जगा तो जवान प्यार है आज

कब उन आँखों से हैं झडे मोती
जब ये आँचल ही तार-तार है आज

एक तस्वीर थरथरायी हुई
यही दुनिया की यादगार है आज!

याद आती गुलाब की न उसे
और ही रंग में बहार है आज