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भेंट उसने गुलाब की ले ली / गुलाब खंडेलवाल

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भेंट उसने गुलाब की ले ली
जैसे प्याली शराब की ले ली

प्यार दिल में किया है हमने अगर
कौन दौलत ज़नाब की ले ली

कर्ज साँसों का तो दिया उसने
पाई-पाई हिसाब की ले ली

क्या हुआ, ज़िन्दगी में हमने भी
नींद थोड़ी जो ख़्वाब की ले ली

आज पहले-सी वह बहार कहाँ!
किसने रंगत गुलाब की ले ली!